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प्रेम का प्रतीक गूजरी महल

ताजमहल को प्यार की निशानी कहा जाता है। और एक प्यार की निशानी ग्वालियर में भी देखी जा सकती है। जी हां, यहां एक गुजरी महल है, जिसे राजा मान सिंह ने अपने प्यार के लिए बनवाया था। उन्हें एक लड़की से पहली नजर में प्यार हुआ और इस महल का निर्माण कर दिया। आइए जानते हैं इस महल की खासियत के बारे में, क्यों है ये ताजमहल से अलग।

जब हम किसी से प्यार की निशानी की बात करते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में आगरा में बने ताजमहल की तस्वीर आती है। क्योंकि मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पसंदीदा पत्नी मुमताज की याद में इस महल को बनवाया था। अगर आपसे पूछें कि शाहजहां के अलावा वो कौनसा राजा था, जिसने अपनी पत्नी या प्रेमिका के लिए किसी महल का निर्माण किया था, तो शायद ही कोई इसका जवाब दे पाए। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में ग्वालियर में एक ऐसा महल स्थित है, जिसे "प्रेम का प्रतीक" माना गया है। बता दें, शासक मान सिंह तोमर ने अपनी पत्नी के लिए इस महल का निर्माण करवाया था। जिसे 'गुजरी महल' के नाम से जाना जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं, इस महल की खासियत के बारे में।

ग्वालियर दुर्ग के भूतल भाग में गुजरी महल स्थित है। राजा मान सिंह ने अपनी पत्नी लिए अलग महल बनवाया था। महल में मंदिर सिद्धांचल जैन गुफा व चतूर्भूज मंदिर जैसे स्मारक भी मौजूद है।

गुजरी महल 71 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा आयताकार भवन है जिसके आंतरिक भाग में एक विशाल आंगन है। गुजरी महल को ऐसे डिजाइन किया गया था, कि दुश्मन कभी इस पर हमला न कर सके। बता दें, आज भी बाहरी रूप ये महल पूरी तरह से सुरक्षित है।

इस महल की खूबसूरत देखने से ही बनती है। पूरा महल को रंगीन टाइलों से अलंकृत किया गया था और बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। यहीं नहीं यहां पर मौजूद मूर्तियां भी बेहत खूबसूरती से बनाई गई है। इस महल के भीतरी भाग में पुरातात्विक संग्रहालय की स्थापना सन 1920 में की गई थी और साल 1922 में दर्शकों के लिए इस खोला गया था। यानी इस महल को देखने के लिए दर्शक करीब 100 साल से ज्यादा समय से जा रहे हैं।

राजा मान सिंह को प्रेम कहानी लगभग 600 साल पुरानी है। उन्हें जिस लड़की से प्रेम हुआ था, वो गुर्जर समाज से आती है। कभी उनके परिवार वालों ने नहीं सोचा था कि एक घर की बेटी राजा मान सिंह की धर्मपत्नी बन जाएगी। बता दें, ग्वालियर से 18 किलोमीटर दूर राई नाम का गांव है, जहां पहली बार राजा मान सिंह ने अपनी पत्नी को देखा था। उनकी ये मुलाकात आम नहीं थी। पहली मुलाकात में राजामान सिंग ने ठान लिया था कि वो गुर्जर कन्या को अपनी धर्मपत्नी बनाएंगे।

एक रोज की बात है, जब राजा मान सिंह राई गांव में शिकार के लिए निकले थे। उन्हें क्या पता था, एक आम दिन, खास दिन में बदलने वाला है। जब वे शिकार पर जा रहे थे, उस दौरान दो शक्तिशाली भैंसे आपस में भिड़ गए। ऐसे में राजा का रास्ता रुक गया । लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करना चाहिए और कैसे इन भैंसों को छुड़ाना चाहिए।

इससे पहले लोगों को कुछ समझ में आता, हिरणी जैसी सुंदर आंखों वाली एक लड़की पहुंच गई और अपनी बहादुरी से दोनों भैंसों को अलग कर दिया। आसपास खड़े लोग सब हैरान हो गए हैं। कैसे एक अकेली लड़की ने दोनो भैंसों को नियंत्रित कर दिया। ये देखकर राजा कायल हो गए हैं, वहीं लड़की को दिल दे बैठे।

राजा मान सिंह ने सोच लिया था कि वो इस गुर्जर कन्या से शादी जरूर करेंगे और उन्हें विवाह का प्रस्ताव भी भेजा। हालांकि गुर्जर कन्या को जब ये बात पता चली थी, तो वो हैरान हो गई थी। क्योंकि राजा की पहले से कई रानियां थी। गुर्जर कन्या ने विवाह के लिए सीधे हां नहीं कहा, उन्होंने राजा मान सिंह के सामने तीन शर्तें रखी। जिसके बाद ही शादी के प्रस्ताव को स्वीकार करने की बात कही।

 

कन्या ने राजा से पहली शर्त में कहा, कि उन्हें कन्या के नाम का महल बनवाना होगा। राजा ने पहली शर्त को माना और गुजरी महल बनवा दिया गया।

दूसरी शर्त में कन्या ने कहा था कि वे बचपन से ही राई गांव के समीप बहने वाली सांक नदी के पानी का इस्तेमाल कर आ रही है और चाहती है कि ऐसी व्यवस्था की जाए कि नदी का पानी में प्रतिदिन प्रयोग कर सकूं। ये शर्त भी राजा ने मान ली और महल में पानी के आने की व्यवस्था की।तीसरा और आखिरी शर्त में कन्या ने कहा था कि, राजा की अन्य रानियों की तरह महल में बंद नहीं रहेंगी। वो हमेशा राजा के साथ रहेंगी। चाहें वो रणक्षेत्र क्यों न हो। ये शर्त भी राजा ने मान ली थी।

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