हादसा: छोटी-सी नादानी से चली गईं 13 जानें
यमुना एक्सप्रेस-वे के माइलस्टोन 127 पर घने कोहरे में दृश्यता शून्य ही थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सुबह लगभग पौने चार बजे सबसे पहले एक अर्टिगा कार स्विफ्ट डिजायर से जा टकराई। इस पर दोनों का सवार यहीं रुककर झगड़ने लगे। इसी दौरान तीसरी ब्रेजा कार भी इनमें आ टकराई। शोर मचा ही था कि पलक झपकते ही पीछे से आ रही तेज रफ्तार डबल डेकर बस ने ब्रेजा कार में टक्कर मार दी। बस की टक्कर से तीनों कारें 10 मीटर तक घिसटती रहीं। रगड़ से कार की ब्रेजा की पेट्रोल टंकी से चिंगारी निकलने लगी और देखते ही देखते कार आग का गोला बन गई। फिर धीरे-धीरे आग विकराल हो गई और एक के बाद एक टकराईं बसें आग की चपेट में आ गईं। इनमें लपटे निकलनें लगीं। उसके बाद मंजर भयावह हो गया।
एक के बाद एक बसें और कार इन वाहनों में आकर टकराते रहे। धूध कर वाहन जलते रहे और लोग भी जिंदा जलने लगे। यात्रियों में चीख पुकार मच गई और जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे, लेकिन लपटें इतनी भीषण थी कि कुछ को बस से निकलने का मौका ही नहीं मिला, जिससे वह जिंदा जल गए। कुछ यात्री निकलकर एक्सप्रेस के किनारे खेतों में भाग गए। करीब एक घंटे बाद पहुंचे बचाव दल ने रेस्क्यू शुरू किया। क्षति-विक्षत को शवों को इकट्ठा करके पोस्टमार्टम के लिए भेजा दिया, झुलसे व घायलों को बलदेव सीएचसी, आगरा एसएन मेडिकल कॉलेज, मथुरा जिला अस्पताल और वृंदावन सौ शैय्या भेज दिया।
कार व बसों के झुंड में 70 मीटर तक फैली आग
हादसे के दौरान एक साथ आंबेडकर नगर डिपो की रोडवेज बस, सात डबल डेकर बसें और ब्रेजा कार धू-धूकर कर जलने गली। एक के बाद एक सीरीज के हिसाब से करीब 70 मीटर तक एक्सप्रेस-वे पर आग फैल गई। कार व बसों के झुंड में आग की लपटें इतनी भीषण हो गईं कि 10 मीटर के दायरे में सब कुछ जलकर राख हो गया।
मथुरा के बलदेव में हुए हादसे में 13 लोगों की मौत गई वहीं एक सैकड़ा से अधिक लोग घायल हैं। ऐसा ही बड़ा हादसा मथुरा में वर्ष 2009 में हुआ था। रेल हादसे में तब पोस्टमार्टम हाउस पर एक साथ 22 यात्रियों के शव जमीन पर रखे देख हर किसी की रूह कांप गई थी। तब भी लोग इसी तरह रोते बिलखते अपने परिजन तथा रिश्तेदार की शिनाख्त के प्रयास में जुटे थे। 20 अक्तूबर 2009 में गोवा एक्सप्रेस और मेवाड़ एक्सप्रेस की टक्कर हो गई थी। इस दुर्घटना में 22 लोगों की मौत हो गई थी और एक सैकड़ा से अधिक यात्री घायल हो गए थे। मंगलवार सुबह यमुना एक्सप्रेस वे पर बसों की टक्कर और आग लगने से मृतकों के शव जब पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे तो 2009 की रेल दुर्घटना का मंजर लोगों के सामने आ गया।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश धनगर ने बताया कि 2009 में वह पढ़ाई करते थे। उनके भाई डॉ. भूदेव जो स्वास्थ्य विभाग में हैं उनके पास रेल दुर्घटना की जानकारी आई थी। उनके भाई मौके पर गए तो वह भी साथ हो लिए। यहां का मंजर देखकर उनकी रुह कांप गई। रेल की बोगी एक दूसरे पर चढ़ी हुईं थीं। घायल और मृतक इधर-उधर पड़े हुए थे। घायल सहायता के लिए चीख रहे थे, वहीं मृतकों के परिजन का रो-रोकर बुरा हाल था। भाई ने डांट कर उन्हें मौके से भगा दिया।
हादसे के बाद एक्सप्रेस-वे की आगरा से दिल्ली की ओर जाने वाली लाइन करीब पांच घंटे तक बंद रही। यातायात पुलिस ने रूट डायवर्जन कर वाहनों को नौहझील अन्य मार्गों से निकाला। करीब पांच घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद जले व क्षतिग्रस्त वाहनों को एक्सप्रेस-वे से हटाया। इसके बाद आवागमन शुरू हुआ। मथुरा समेत तीन जिलों से आए बचाव दल ने कड़ी मशक्कत के बाद मौके से घायलों को रेस्क्यू किया। कई थानों के मौजूद पुलिस बल ने एक्सप्रेस-वे पर बिखरे पड़े यात्रियों के सामान को एक स्थान पर रखा। सुबह 4:30 बजे से 8:30 बजे तक यही सिलसिला चलता रहा।