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उमा भारती बोली: आर्थिक आधार पर आरक्षण पर विचार किए जाने की आवश्यकता है

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिंदू एकता और हिंदू राष्ट्र पर बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि संत धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने जिस तरह हिंदू राष्ट्र की अवधारणा की बात कही है, वह स्वागत योग्य है। बुंदेलखंड ऐसी ही महान विभूतियों की धरती रही है। उमा भारती ने कहा कि भारत मूल रूप से हिंदू राष्ट्र है और इस सत्य को सभी को स्वीकार करना होगा। हिंदू इसलिए सेक्युलर है क्योंकि हिंदू संस्कृति की जड़ में सहिष्णुता और विविधता में एकता है। इस भूमि पर सबसे पहले सनातन था और उसके बाद इस्लाम, बौद्ध, जैन और ईसाई आए, लेकिन हिंदू समाज ने सबको सम्मान दिया और किसी की मान्यताओं को नकारा नहीं। उन्होंने कहा कि भारत हिंदू स्टेट नहीं है और न ही ऐसा होना चाहिए, लेकिन हिंदू समाज में जातिगत भेद समाप्त होना चाहिए। जातिगत विभाजन ने इतिहास में कई समस्याएं पैदा की हैं और अब समय है कि हिंदू समाज एकसमान होकर खड़ा हो। उमा भारती ने कहा कि हिंदू एकता की असली बुनियाद आर्थिक समानता है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकारी और निजी स्कूलों में बड़ा अंतर है। सरकारी और निजी अस्पतालों के स्तर में फर्क है। तो समानता कैसे स्थापित होगी? उन्होंने कहा कि शासन, प्रशासन और सत्ता में सभी वर्गों की भागीदारी बराबर होना जरूरी है। “आरक्षण संवैधानिक व्यवस्था है और मजबूरी में दिया गया। लेकिन समाज में जागरूकता की लहर उठनी चाहिए ताकि सत्ता और प्रशासन में सभी की भूमिका समान हो। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आर्थिक नीतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारी संपत्तियों पर नियंत्रण और असमानता कम करने की दिशा में काम हुआ है।उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन मिलेगा तो हिंदू एकता मजबूत होगी। जाति भेद खत्म करने के लिए “बेटी और रोटी का संबंध” सभी जातियों में स्थापित होना चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में भी अंतरजातीय विवाह हुए हैं। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण के लिए किसानों और सरकार को मिलकर काम करना होगा। साथ ही आर्थिक आधार पर आरक्षण पर विचार किए जाने की आवश्यकता बताई।


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