à¤à¤¾à¤°à¤¤ की इस जगह आकर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ रेंजर à¤à¥à¤•ाते है सिर आप à¤à¥€ जानिठअà¤à¥€
à¤à¤¾à¤°à¤¤ में à¤à¤• जगह à¤à¤¸à¥€ à¤à¥€ है जहा पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ लोग और रेंजर आकर सिर à¤à¥à¤•ाते है ये जगह जमà¥à¤®à¥‚ से लगà¤à¤— 45 किलोमीटर दूर रामगढ सेकà¥à¤Ÿà¤° में है
सामà¥à¤¬à¤¾ जिले के रामगढ सेकà¥à¤Ÿà¤° में बाबा चमलियाल की दरगाह पर हर साल मेला लगता है इस मेले में à¤à¤¾à¤°à¤¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ की सीमा का बंधन टूट जाता है इस मेले में पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के लोग à¤à¥€ आकर दरगाह पर माथा टेकते है और अपनों से गले मिलते है à¤à¤¾à¤°à¤¤ पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨ के बटवारे के 69 साल बाद à¤à¥€ ये परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ अà¤à¥€ तक चल रही है
इस मेले में आने वाले पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ रेंजर अपने साथ दरगाह पर चà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठचादर लाते है खà¥à¤¦ दरगाह पर जाकर सिर à¤à¥à¤•ाते है लौटते समय पाक रेंजर टà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤° में मिटटी और टैंकर में पानी लेकर जाते है यहाठमिटी को शकà¥à¤•र और पानी को शरबत के नाम से पà¥à¤•ारा जाता है à¤à¤¸à¤¾ मन जाता है की यहाठके इस मिटटी और पानी से लोगों के चरà¥à¤® रोग खतà¥à¤® हो जाते है
सीमा पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ मजार पर पाकिसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥€ रेंजर अपने लोगों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दी हà¥à¤ˆ चादर को लेकर आते है और मजार पर चà¥à¤¾à¤•र माथा टेकते है और यहाठआने वाले लोग सीमा पर शांति और सीमा के दोनों और अमन की कामना करते है



