“दीपकला उत्सव” में सजी आदिवासी कला की रंगत, ग्वालियर ललित कला महाविद्यालय में रचनात्मकता का हुआ जीवंत प्रदर्शन

ग्वालियर (विनय शर्मा): शासकीय ललित कला महाविद्यालय, ग्वालियर में दीपावली पर्व के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले वार्षिक कला महोत्सव “दीपकला उत्सव” की तैयारियाँ पूरे उत्साह और उमंग के साथ प्रारंभ हो गई हैं। महाविद्यालय परिसर इस अवसर पर रचनात्मकता और पारंपरिक सौंदर्य का संगम बन चुका है, जहाँ विद्यार्थी अपनी कलात्मक अभिव्यक्ति को जीवंत रूप दे रहे हैं। इस वर्ष कला मेले की थीम “ट्राइबल (आदिवासी कला)” निर्धारित की गई है। इसी थीम के अनुरूप विद्यार्थियों ने परिसर को पारंपरिक एवं लोक कलात्मक शैली में सजाया है। रंग-बिरंगी सजावट, आदिवासी रूपांकनों और पारंपरिक शिल्पकृतियों से सजा हुआ परिसर दर्शकों को आकर्षित कर रहा है।
मेले में छात्र-छात्राओं द्वारा अपनी हस्तनिर्मित कलात्मक सामग्री (हैंडीक्राफ्ट आइटम्स) का प्रदर्शन एवं विक्रय किया गया, जिसे आगंतुकों ने खूब सराहा और अपनी पसंद की वस्तुएँ भी खरीदीं। आयोजन के दौरान विद्यार्थियों की रचनात्मकता ने एक जीवंत कलात्मक वातावरण का निर्माण किया।
कार्यक्रम के मंचीय भाग में विद्यार्थियों ने विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ दीं, जिनमें लोकनृत्य, गीत और नाट्य प्रस्तुतियाँ शामिल रहीं। इन प्रस्तुतियों ने आयोजन को और भी आकर्षक और मनोरंजक बना दिया।
मेले का प्रमुख आकर्षण प्रशांत और रविकांत द्वारा तैयार की गई “कांतारा थीम” पर आधारित रंगोली रही, जिसने दर्शकों का विशेष ध्यान आकर्षित किया और खूब सराहना प्राप्त की।
पूरे आयोजन की तैयारी और संयोजन महाविद्यालय के शासकीय प्रभारी गिर्राज शर्मा तथा कला शिक्षक अनूप शिवहरे, उमेंद्र वर्मा, केदार सिंह उलाडी, कामिनी सूत्रकार, मनीष चंदेरिया, ओमप्रकाश माहौर, तापाजानी साहा, रुचिका खत्री, निहारिका सिंघल, अनिल बाथम सहित समस्त स्टाफ सदस्यों के मार्गदर्शन में किया गया।
“दीपकला उत्सव” न केवल विद्यार्थियों की रचनात्मक प्रतिभा का मंच है, बल्कि यह ग्वालियर की कला-संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक प्रेरक पहल के रूप में उभर रहा है।