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सर्विस लेवल बेंच मार्किंग में कई मापदंडों पर पिछड़े यह नगर निगम

 à¤®à¤ªà¥à¤° के ज्यादातर नगर निगम 2017-18 के लिए तय किए गए बुनियादी सुविधाओं के मुख्य लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर सके हैं। यह तथ्य सर्विस लेवल बेंच मार्किंग को लेकर राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में सामने आया है। इंदौर को छोड़कर भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और अन्य नगर निगम सभी घरों तक पीने के पानी के लिए नल कनेक्शन नहीं पहुंचा पाए हैं। 

सीवरेज ट्रीटमेंट, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और वर्षा जल निकासी के मामले में ज्यादातर शहरों की स्थिति ठीक नहीं है। 2017-18 में टारगेट पूरा नहीं करने के बाद अब 2019 के लिए नया टारगेट दिया गया है। 14वें वित्त आयोग के तहत सामान्य अनुदानों के लिए नगरीय निकायों की सर्विस लेवल बेंच मार्किंग की जाती है। à¤­à¥‹à¤ªà¤¾à¤² में नगर निगम सिर्फ 26 प्रतिशत वर्षा जल निकासी की व्यवस्था कर पाया है। 2017-18 में उसे सौ प्रतिशत जल निकासी की व्यवस्था करने के टारगेट दिया गया था। खराब काम के बाद अगले साल के लिए सिर्फ 28 प्रतिशत जल निकासी का टारगेट दिया गया है। वहीं इंदौर ने 100 प्रतिशत वर्षा जल निकासी की व्यवस्था की है। जबलपुर और ग्वालियर 65 प्रतिशत जल निकासी की ही व्यवस्था कर सका है। à¤œà¤² आपूर्ति के मामले में इंदौर ने टारगेट के अनुसार 100 प्रतिशत घरों में नल कनेक्शन तो लगा दिए हैं, लेकिन जल आपूर्ति सेवा शुल्क का 50 फीसदी ही वसूली कर पाता है। वहीं रोजाना दो घंटे पानी के देने के लक्ष्य को भी इंदौर नगर निगम पूरा नहीं कर पाया। भोपाल नगर निगम 93 प्रतिशत घरों में ही नल कनेक्शन पहुंचा सका है। जबलपुर को 80 फीसदी घरों में नल कनेक्शन का टारगेट मिला था, लेकिन 74 फीसदी घर में ही नल कनेक्शन लगे। वहीं ग्वालियर भी 100 फीसदी के टारगेट की बजाय 74 फीसदी घरों में नल कनेक्शन पहुंचा सका है। à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के ज्यादातर नगर निगमों के सभी क्षेत्रों में सीवरेज सिस्टम का जाल नहीं फैल सका है। ग्वालियर के 60 प्रतिशत इलाकों में तो जबलपुर के 18 फीसदी इलाकों में सीवरेज सिस्टम है। इंदौर में 62 फीसदी और भोपाल में 78 फीसदी इलाकों में ही सीवरेज सिस्टम काम कर रहे हैं। सभी शहरों को सौ प्रतिशत इलाकों में सीवरेज व्यवस्था का ढांचा तैयार करने का लक्ष्य था।

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