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छह माह के बच्चे भी समझने लगते हैं माता-पिता का गुस्सा और प्यार

एक अध्ययन में कहा गया है कि छह माह के शिशुओं में बोलने से पहले भावनाओं की समझ आ जाती है। वह अपने माता-पिता के गुस्से और खुशी को समझने लगते हैं। यह अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ जिनेवा में किया गया है। 

प्रमुख शोधकर्ता अमाया पलामा का कहना है कि शिशु गुस्से वाले चेहरे को लंबे समय तक देखते रहते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे पता चलता है कि छह माह जितने छोटे शिशु विभिन्न भावनाओं में आसानी से अंतर कर लेते हैं। उनमें इतनी समझ बोलना शुरू करने से भी पहले विकसित हो जाती है।

इस अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि छह माह के बच्चों को दिखाई या सुनाई कुछ भी पड़े, मगर वे भावनाओं में अच्छे से अंतर कर लेते हैं। बच्चे अपनी भावनाओं यानि रो कर के जरिये अपनी जरूरतें ख्याल रखने वाले व्यक्ति को बताते हैं। 

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि बच्चों का खुशी या गुस्से पर तटस्थ प्रतिक्रिया देते हैं। खुशी का आभास कराने वाली आवाज पर वह व्यक्ति के चेहरे को लंबे समय तक देखते हैं। इस अध्ययन के नतीजे प्लस वन पत्रिका में प्रकाशित हो चुके हैं। यह अध्ययन जिनेवा बेबी लैब में छह माह के 24 शिशुओं पर किया गया। इसके तहत शिशुओं को पहले खु्शी, गुस्सा और सामान्य आवाज 20 सेकेंड तक सुनवाई गई। इसके बाद उन्हें मुख्यतौर पर दो भावनाएं दिखाने वाले चेहरे 10 सेकेंड तक दिखाए गए।

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